
केन्द्र की सरकार पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने में नाकाम – संसदीय सचिव साहू
लगातार बढ़ रही रसोई गैस और पेट्रोल-डीजल के दाम से बिगड़ा घर का बजट
महिलाओं को धुंआ से मुक्ति दिलाकर, आंखों से आंसू लाने में नहीं छोड़ी जा रही है कसर
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
इन दिनों लगातार बढ़ रही महंगाई के चलते मध्यम वर्ग की महिलाओं को जिस प्रकार से घर का बजट बनाने में मुश्किलों से जुझते हुये देखा जा रहा है, मगर वही दूसरी ओर जिस प्रकार से बीते हुए दिनों केन्द्र सरकार द्वारा अचानक से गैस सब्सीडी वाले गैस सिलेण्डरों में बढ़ोतरी की गई है जिसके चलते निश्चित तौर से लोगों के घरों का बजट बिगड़ने से नहीं चूक पायेगा। यदि वर्तमान समय में मंहगाई की सच्चाई पर गौर किया जाये तो पहले जब महिलाएं बाजार में सब्जी लेने के लिए जाती थी तो 50 रूपये में थैला भर सब्जी लेकर लौटती थी। मगर इस मंहगाई के दौर में 5 रूपये में हरि धनियां ही आ पा रही है, जिसके चलते मंहगाई पर अंकुश लगाने में असफल रहने वाले केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये अच्छे दिन आने के भरोसे के चलते किसी भी प्रकार से महिलाएं अपनी रसोई चलाते हुए देखी जा रही थी, मगर जिस प्रकार से बीते हुए दिनों गैस सिलेण्डर के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण उन मजदूर वर्ग से लेकर मध्यम वर्गो के महिलाओं की आंखों में आंसू लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। कहने के लिये तो केन्द्र सरकार द्वारा बीते हुए कुछ वर्ष पहले महिलाओं को धुंआ से मुक्ति दिलाने के नाम पर उज्जवला योजना के तहत गैस बांटते हुये गृहणियों की आंखो के आंसू पोछने की बात कही गई थी मगर अब रसोई गैस के दामों में बढ़ोतरी करते हुये जिस तरह उनकी आंखों में आर्थिक संकट के आंसू बहते हुए देखा जा रहा है उस ओर शायद सरकार का ध्यान नहीं जा रही है। क्योंकि सरकार द्वारा गैस सिलेण्डरों के साथ-साथ डीजल-पेट्रोल के दामों में लगातार की जा रही बढ़ोतरी के चलते दो वक्त की रोटी कमाने वाले लोगों के लिये मुश्किलों में डाल दिया गया है। क्योंकि सरकार द्वारा पहले हर परिवार को उज्जवला के नाम पर गैस सिलेण्डर बांटकर महिलाओं को धुंआ से मुक्ति दिलाकर अब आंखों से आंसू लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। यदि सच्चाई पर गौर किया जये तो पहले महिलाएं रसोई गैस से विमुख रहते हुये किसी भी प्रकार से लकड़ी कंडो के माध्यम से अपने परिवार का पेट भर लेती थी, मगर अब जब उन्हें फ्री में गैस बांटते हुये गैस के माध्यम से भोजन बनाने की आदत डाल दी गई इसके बाद गैस के दामों में लगातार की जा रही बढ़ोतरी के चलते महिलाओं को अपने परिवारजनों का भेट भरना मुश्किल हो रहा है। यदि सच्चाई पर नजर डाला जाये तो शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जिसके घर में एक सिलेण्डर के माध्यम पूरे माह का भोजन बन पाता हो, इस स्थिति में निश्चित गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को एक माह के अदंर दो-दो गैस सिलेण्डर इस समय बढ़ते हुए दामों के बीच लेना मुश्किल हो रहा है। दूसरी ओर डीजल पेट्रोल के दामों में हो रही बढ़ोतरी के चलते खाने का तेल जो एक साल पहले 80 से 90 रूप्या में एक लीटर मिल जाता था आज वह 125 रूपये लीटर मिल रहा है।
मंहगाई की मार….
गैस के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर जब क्षेत्र की विधायक व संसदीय सचिव सुश्री शकुन्तला साहू से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि निश्चित तौर से केन्द्र की सरकार पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने से उन गरीब परिवारों के लिए दुखदाई है जो बड़ी मुश्किलों के बीच अपने परिवार का भरण-पोषण करते हुये देखे जा रहे है। लगातार बढ़ रही महंगाई के बाद अब गैस सिलेण्डरों के दामों में हो रही बढ़ोतरी ने निश्चित तौर से केन्द्र सरकार के उस चेहरों को सामने लाकर खड़ा कर दिया है, जो जनता के बीच सिर्फ झूठे वादों के भरोसे वाहवाही लूटते हुये अपने आपको जनता का हितैषी बताने का प्रयास करती है। आज पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ोतरी का असर हर सामग्री पर पड़ने के कारण उसके दाम सातवे आसमान की ओर जा रहे है। क्योंकि केन्द्र में बैठी हुई भाजपा सरकार द्वारा एक ओर बेरोजगारी मिटाने में असफल देखी जा रही है, वही दूसरी ओर आये दिन गैस सहित पेट्रोलियम पदार्थो के दामों में बढ़ोतरी से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को दो वक्त की रोटी मुश्किल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा सरकार अपने आपको किसान हितैषी होने का बात कहती है, मगर उनकी नीतियों के चलते आज देश का किसान जहाँ सड़क पर बैठा हुआ है। लगातार बढ़ रही रसोई गैस व पेट्रोल-डीजल की मार की वजह से आम आदमी, मध्यम व गरीब वर्ग का बजट बिगड़ रहा है।